कविता लिखे के पहिली यहु ला गुनव

कविता लिखे के पहली

1,का कवि *खुद ल सम्बोधित करत हे*, यदि हाँ, त-

* मैं,मोर,मोला,मैहर(एकवचन म)अउ हमर,(बहुवचन म),हो सकत हे।

*तीनो काल,*उत्तम पुरुष*(स्वयं उत्तम पुरुष बर होथे) म,मैं देखत हौं/मैं देख डरेंव या देखेंव/मैं देखहूँ। अइसने बहुवचन बनही

2,यदि कोई *सेकंड पर्सन* ल सम्बोधित करत हन त-
*तँय,तोर,तोला,तँयहर (एकवचन म) तुमन,तुम्हर,(बहुवचन में)
* तीनो काल *मध्यम पुरुष*(स्वयं के अलावा कोई सेकंड पर्सन मध्यम पुरूष होही)

तँय देखत हस/तँय देखेस/तँय देखबे(एकवचन)
तुमन देखत हव/तुमन देख डरेव/तुमन देखहू(बहुवचन)

3,यदि रचना म कवि स्वयं अउ सेंकड पर्सन के अलावा कोनो *तीसर पर्सन* के बारे म बात करत हे या वोला सम्बोधित करत हे, त-

वो,वोहर,ओखर,ओमन,उनला,हो सकत हे, तब पुरुष *अन्य पुरुष*रही।

तीनो काल(अन्य पुरुष म)
ओहर देखत हे/ओहर देखिस/ओहर देखही(एकवचन)

ओमन देखत हे/ओमन देखिस/ओमन देखही(बहुवचन)

*एखर आलावा होथे लिंग,जेमा हमर भाखा म कुछ छूट हे, तभो उचित प्रयोग जरूरी रही,जइसे- बेलबेलहा टूटा, बेलबेलही टूरी*

*रचना लिखत बेरा कर्ता, कर्म अउ कारक चिन्ह के घलो उचित प्रयोग जरूरी हे, कर्ता कोन हे(काखर उप्पर बात कहे जात हे), का कर्म हे अउ कारक चिन्ह  घलो बहुते जरूरी हे, बिना कारक या विभक्ति के वाक्य पूर्ण नइ होय)*

बुधारू दारू बर भट्ठी कोती गिस/जावत हे/जाही

येमा-
बुधारू- *कर्ता*
जाना- *क्रिया*
बर- *विभक्ति या कारक* चिन्ह(एखरो सात प्रकार हे)

दारू- *कर्म कारक* भट्ठी  *अन्य शब्द होही* होही।

रचना लिखत बेरा भाषा के शुद्धता अउ मान्य रूप के प्रयोग करना चाही।नकारात्मक अउ गलत प्रभाव छोड़े अइसनो रचना साहित्य के श्रेणी म नइ आवय।

महूँ गुरुदेव के आशीष अउ अन्य गुरु मनके सानिध्य म सीखत हँव, गलती स्वभाविक हे, जाने के बाद घलो,फेर एक दू बेर खुदे पढ़े म समझ आ जथे।

*रचना उही जे खुद ल पूर्णतः संतुष्ट करे सबो विधान म*

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