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छन्न पकैया छंद

छन्न पकैया छंद : - कइसन आय जमाना  ................... छन्न पकैया छन्न पकैया , कइसन आय जमाना । फइले फैशन चारो कोती , कहिबे का का बताना ।। छन्न पकैया छन्न पकैया , लाज शरम हर मरगे । नान नान कपड़ा मा संगी , फूहड़ता हर भरगे ।। छन्न पकैया छन्न पकैया , फैशन हावय भारी । ददा दाई बरजय नही गा , कइसन हे लाचारी ।। छन्न पकैया छन्न पकैया , कतका बात ल धरबे । घर मा लइका छूट पाय ता , बता तही का करबे ।। छन्न पकैया  छन्न पकैया , कटे - फटे  हे  कपड़ा । अंग अंग जी झलकत हावय , देखव माते लफड़ा ।। छन्न पकैया छन्न पकैया , कोनो नइ शरमाये । नोनी बाबू एक बरोबर , फैशन हवय लगाये ।। छन्न पकैया   छन्न पकैया ,  घटना  रोजे बाढ़े । काला दोष लगाबे संगी , देखय सब झन ठाढ़े ।। छन्न पकैया  छन्न पकैया , कोन हवय जी दोषी । पहिली गुनले बात ला सबो , झन कर ताता रोषी ।। छन्न पकैया  छन्न पकैया ,  कइसन  ये  पहिनावा । छोड़व अइसन फैशन ला जी , बने सादगी लावा ।। छन्न  पकैया  छन्न  पकैया  ,  हमर ये  जुमेदारी ।। लइका मनला सुग्घर राखव , जम्मो नर अउ नारी ।।              मयारू मोहन कुमार निषाद

हिंदी कुंडलिया

थोड़ा कड़वा मगर वर्तमान का दर्पण है ....................... पढ़ता रचना ओ सखे , जो दे उचित विचार । बाकी रचना देख बस , देते लाइक मार ।। देते लाइक मार , कहा है रचना पढ़ते । समझे ना कुछ बात , तभी आगे है बढ़ते ।। काश समझते यार , नया तब राहे गढ़ता । होता ना सब पाप , कोइ जब रचना पढ़ता ।। आये इस संसार में , करले अच्छे काम । दो दिन की है जिंदगी , जपलो हरि का नाम । जपलो हरि का नाम , पार भव से जाओगे । प्रभु नाम है सार , चरण में सुख पाओगे । कल की चिंता छोड़ , आज ही हरिगुण गाये । रखे सभी का मान , मजा जीने में आये ।।                                   मयारू मोहन कुमार निषाद                            गाँव - लमती , भाटापारा ,                         जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)