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Showing posts from October, 2017

कवि सम्मेलन आगाज माँ शारदे वन्दना

वन्दना बैठे है विराजमान , कवि सभी है सुजान | मात शारदे से मांगू , ऐसी वरदान दे || हिन्दू को प्रणाम मुस्लिम को सलाम है मर मिटे देश पर ऐसे ही जवान दे || नेताओ ने नीति , और बदल रीत सारी | काट के तू रखदे , ऐसी ना जुबान दे || सताये जो माता पिता को निज रात दिन भगवान किसी को ना ऐसी सन्तान दे || हो रहा आगाज अब कवि सम्मेलन की , क्या सुनाएंगे कवि जरा विचार कीजिये | सुखा सुखा तन मन , और ये वातावरण इस पर तालियों वाली फुहार कीजिये || भूलकर गम सारे , अपने में हो मगन उजडे ना मौसम , को बहार कीजिये | अब के कवियों को , दिया है जो इतना प्यार ऐसे में मेरा प्रणाम भी स्वीकार कीजिये || माँ वीणा पाणि को नमन माता वीणापाणी मुझे ज्ञान वरदान दे | स्वर को मातु मेरी आज तू सवाँर दे || होना जाये भूल कहि , भूल से भी माता मेरी ज्ञान का मुझे तू , आज भंडार दे|| बालक है हम माँ , तू है जगजननी हर के अँधेरे हमे , ज्ञान का प्रकाश दे | हो मंगलमय माता सब कारज , विघ्न को हर माँ आशीष आपार दे || सभी को है माता एक तेरा ही सहारा , हमको भी माँ तेरी चरणों में प्यार दे ||

गद्दारो को जवाब

महफिल है यहा रोज सजती , सत्ता के गलियारों में | बिकते है ईमान यहा , सस्ते दाम बाजारों में || पहन मुखौटा आज बैठे है , देश में कितनो गद्दार हरलो इनके प्राण को , माँ भारती का कर्ज उतार नामो और निशान मिटा दो उनकी , जिनको देश नही भाता है ओवैसी अफजल के जैसे , वन्दे मातरम् है नही गाता बनकर कोई एक कन्हैया , सामने जब आ जाता है भारत तेरे टुकड़े होंगे , कहकर आवाज लगाता है || शर्म नही आता है इनको , नमक हरामी करते है जिस मिटटी में जन्म लिये है , कीचड़ उसी कहते है अफलज और कसाब ओवैसी , मनको इनके भाता है भारत माता का होके पूत , अपनों को ही मरवाता है || सौदा आज बनाके रखदी , भारत माँ के शान को चन्द पैसो के कारण देखो , मिटा रहे सम्मान को || पहन के कुर्ता बैठे है , आज देखो कितनो गद्दार नमक हरामी भ्रष्टाचारि , करते है ये अत्यचार अब तो इनको सबक सिखादो , जागो मेरे नव जवान रखदो सर कुचल के इनका , बढ़ाओ भारत माँ का शान ||

आये मोदी राज छत्तीसगढ़ी हास्य व्यंग

जबले मोदी आय हे , चाय वाले मन घलो भाव खाय हे आज आवत आवत हमर भइया कहिथे चाय पीतेन जी चाय पियेन , मैं ओला दस के सिक्का देव कहिथे सिक्का नई चलय मैं कहेव् कइसे नई चलय भाई हमर कोती तो चलथे ता चाय वाले कहिथे एकझन चाय वाले हा दस हजार के नोट बन्द कर सकथे ता हम दस के सिक्का नई बन्द कर सकन जी मैं कहेव् बड़ा बाय हे भइया दस के नोट देव कहिथे उहू नई चलय मैं कहेव् काबर कहिथे ..... गिद गिद हा हे नोट हा साले हम एक झन गिद गिद हिन् बाई ला आज ले चलात हन अउ तै एक ठन नोट नई चला कसच यार अइसन तो हे हाल भइया

छत्तीसगढ़ी गीत

पावन भुईया महतारी के अउ सूत उठ करव परनाम येखर मया के छइंहा मा जिहा बसे हावय मोर गाँव डोगरी पहाड़ी रुख राई ले सजे हावय दरबार अउ आमा अमली बर पिपर के जिहा हावय सुघ्घर छाँव गांवे मा सहाडा देव बिराजे अउ बईठे हावय महामाया दाई अउ ठाकुर देव ला करव पैलगी शीतला दाई ला माथ नवाई माटी के घर मा माटी के खपरा छानही परवा छवाय हावय अउ गऊ माता के गोबर मा सुघ्घर घरअंगना लिपाय हावय की होत बिहनिया गाँव बस्ती मा चिरई चिरगुन के बसेरा हे चिंव चाव नरियाके बताथे आगे नवा सबेरा हे की हाका पारत गाँव बस्ती मा राउत भईया आवत हे गऊ माता के बछरू पिला हर देखत रस्ता निहारत हे धरके नागर बइला तुत्तारि किसाने हा खेत मा जाथे अउ बासी लेके खेतहारीन हा खेत खार मा आवत हे माटी हमर महतारी ये भईया करम किसानी मितानी ये मीठ जुबानी लोटा भर पानी इही हमर मेहमानी ये !! रचना 🌷मयारू मोहन कुमार निषाद🌷 गाँव लमती भाटापारा ||

छत्तीसगढ़ी हास्य ब्यंग

नवा साल के बधाई 31 दिसम्बर के रात कन मैं मस्त खा पीके सूत गेव बिहनिया उठके देखथव ता मोर चेहरा मारे खुशी के लाल हे काबर की आज नवा साल हे | मैं सोचव चलके कोनो ला बधाई देना चाहिए उही डहर जात रहेंव तइसने भट्ठी मेर कका मिलगे मैं कहेव् कका ..... हैप्पी न्यू ईयर कका कहिथे ..... बन्द हे भट्ठी , नई मिलत हे दारु अउ बियर ता काके तोर हैप्पी न्यू इयर मैं कहेव ये नई समझय फेर आघू बढेव ता प्राइमरी स्कुल मेर एक झन शिक्षाकर्मी गुरूजी ला भेट परेव् मैं सोचेव् गुरूजी ला बधाई देना चाहिए मैं कहेव् गुरूजी राम राम ता गुरूजी कहिथे तोर हमर का काम मैं कहेव् नवा साल के बधाई ता गुरूजी कहिथे .... उही खुर्सी ये उही टेबल हे अउ उही स्टूल हे रे भाई फेर मोला काके देवत हस तै हर बधाई करथन हड़ताल तेमा पुलिस के लाठी बम हे अउ लड़थन ओतके रे भाई जतका हमर में दम हे | (मैं कहेव् एहु नई समझय ) आघू बढ़ेव् ता ओती ले हमर गाँव के सरपंच आवत राहय मैं कहेव् सरपंच साहेब .... नवा साल के बधाई ता सरपंच कहिथे ....... तै तो हमर हाल ला जानथच रे भाई राहत काल चलत नइये , जनता देवत हे गारी चुनाव मा ओतका पईसा खर्चेव , हावय बड़ लाचारी | (मैं कहेव् एहु नई