नवदिन नवराती (घनाक्षरी छंद)
*नवदिन नवराती , बरे दिया संग बाती ।* *बघवा सवार होके , दाई हा बिराजे हे ।।* *नवदिन नवरूप , देय सबो हुम धुप ।* *शंख चक्र गदा दाई , हाथ तोर साजे हे ।।* *धरे तिरशूल भाला , पहिरे हे मुंडी माला ।* *मन्दिर मा दाई तोर , मांदर हा बाजे हे ।।* *भगत खड़े दुवारी , लेके पान सुपारी ।* *कर पूरा आस दाई , दिन तोर आजे हे ।।* *आनी बानी रूप धरे , मनौती ला पूरा करे ।* *सेउक हे दाई सबो , जस तोर गात हे ।।* *मन मा हे लेके आस , आये दाई तोर पास ।* *गाके तोर महिमा ला , सेवा ला बजात हे ।।* *तही दाई महामाई , करबे सदा सहाई ।* *मन्दिर भगत तोरे , दाई रोज आत हे ।।* *लगत हे मेला भारी , आये देखे नर नारी ।* *दाई ओ दुवारी तोर , सबला ओ भात हे ।।* *©रचना®* *मयारू मोहन कुमार निषाद* *गाँव लमती भाटापारा* *मो . नं. 7999844633*