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Showing posts from January, 2018

बेटी ला दव मान - सार छंद

देवव बेटी ला दुलार जी , बन्द करव ये हत्या । जीयन दव अब बेटी ला गा , राखव मनमा सत्या ।1! बेटी होही आज तभे जी ,  बहू अपन बर पाबे । बेटा कस जी मान देय ले , जग मा नाम कमाबे !2। करव भेद झन जी दूनो मा , एक बरोबर जानव । बेटी लक्ष्मी रूप आय जी , बहू घलो ला मानव ।3! छोड़व लालच के रद्धा जी , झन दहेज ला लेहव । बन्द होय गा अइसन कुप्रथा , शिक्षा अइसे देहव ।!4 मारव झन कोनो बेटी ला , जगमा गा तब आही । हासत खेलत घर अँगना मा , जिनगी अपन बिताही ।5! होवय बंद भ्रूण के हत्या , परन सबे जी ठानव । बेटी बिन जिनगी हे सुन्ना , बेटा के सम मानव ।।6!!         ||मयारू मोहन कुमार निषाद||             गाँव - लमती भाटापारा          मो .- 7999844633

परयावरन पेड़ के जतन छन्न पकैया छंद

छन्न पकैया छन्न पकैया , जुरमिल पेड़ लगाबो । परयावरन ल हम सब भइया , आवव सबो बचाबो । छन्न पकैया छन्न पकैया , परदूसन हे भारी । पेड़ लगावत कोन हवय जी , देखव हे लाचारी । छन्न पकैया छन्न पकैया , उजड़त हे रुखराई । गाडी घोड़ा रोज चलत हे , बउरे जी सब भाई । छन्न पकैया छन्न पकैया , आज सबो हे सोये । बाढ़े देखय परदूसन ला , मुड़ धर सब गा रोये । छन्न पकैया छन्न पकैया , पानी पेड़ ग लाथे । हरियर हरियर खेत खार हा , सबके मनला भाथे ।।            मयारू मोहन कुमार निषाद

संक्षिप्त परिचय

*नाम - मोहन कुमार निषाद उपनाम - मयारू मोहन कुमार निषाद* *पिता - श्री जवाहर लाल निषाद* *माता - श्रीमति बुधवन्तीन बाई निषाद* *जन्मतिथि - 15 सितम्बर सन् 1993* *पता - ग्राम - लमती , पोस्ट - सिंगारपुर , थाना / तहसील - भाटापारा ,  जिला - बलौदा बाजार (भाटापारा) छत्तीसगढ़ पिन - 493118* *मोबाइल नंबर - 8349161188*                       *7999844633*

दोहा छंद के गुरुमंत्र मात्राबाँट सूत्र

*दोहा छन्द की मात्राबाँट का गुरुमंत्र* विषम चरण - 4, 4, 2 (1,2) या 3, 3, 4 (1,2) सम चरण - 4, 4 (2,1) या 3, 3, 2 (2,1) *यहाँ 4 का अर्थ* 2,2 या 2,1,1 या 1,1,2 या 1,1,1,1 है। *121 कदापि नहीं* *इसी प्रकार 3 का अर्थ* 2,1 या 1,2 या 1,1,1 है। *इस मात्राबाँट के बिना दोहे में लय का आना असंभव है*

बासी किसान रोटी दोहा छंद

गरमी मा बासी बने , मनला सबके भाय । खाले चटनी संग मा , खाये देह जुड़ाय ।। करत किसानी के बुता , हावय आज किसान । खावत बासी पेज ला , उपजावत हे धान ।। रोटी आटा के बने , होथे अबड़ मिठास । खुरमी चीला ठेठरी , हावय जी सब खास ।। अइसा  खुरमी  ठेठरी  , रोटी  हे  भरमार । दूध फरा अउ बोबरा , बनथे सबो तिहार ।।

हरेली तिहार दोहा छंद

आय हरेली जी हमर , सबले शुरू  तिहार । जुरमिल सबो मनात हे , छाये हवै बहार ।। गेड़ी के जी लव मजा , संगी चढ़के आज । परब हरेली के हवै , बंद हवय सब काज ।। पहिली हमर तिहार ला , सुग्घर संग मनाव । नाँगर बइला पूज के , चीला आज चढ़ाव ।। करत किसानी के बुता , हावय मगन किसान । आज हरेली जी हवे , मानव सबे मितान ।।

विषय - डोंगा दोहा छंद

डोंगा हावय जी फँसे , आज बीच मझधार । पानी अब्बड़ जी गिरे  , जाबो कइसे पार ।। नदिया पूरा आय हे , कइसे डोंगा लावँ । नहकइया कतको हवे , कइसे पार लगावँ ।। डोंगा कठवा के बने , केंवट ओला लाय । राम लखन अउ जानकी , तीनो ला नहकाय ।।