बेटी ला दव मान - सार छंद
देवव बेटी ला दुलार जी , बन्द करव ये हत्या । जीयन दव अब बेटी ला गा , राखव मनमा सत्या ।1! बेटी होही आज तभे जी , बहू अपन बर पाबे । बेटा कस जी मान देय ले , जग मा नाम कमाबे !2। करव भेद झन जी दूनो मा , एक बरोबर जानव । बेटी लक्ष्मी रूप आय जी , बहू घलो ला मानव ।3! छोड़व लालच के रद्धा जी , झन दहेज ला लेहव । बन्द होय गा अइसन कुप्रथा , शिक्षा अइसे देहव ।!4 मारव झन कोनो बेटी ला , जगमा गा तब आही । हासत खेलत घर अँगना मा , जिनगी अपन बिताही ।5! होवय बंद भ्रूण के हत्या , परन सबे जी ठानव । बेटी बिन जिनगी हे सुन्ना , बेटा के सम मानव ।।6!! ||मयारू मोहन कुमार निषाद|| गाँव - लमती भाटापारा मो .- 7999844633