बेटी बेटा ला दव मान बरवै छंद
बरवै छंद बेटी बेटा हावय , एक समान । कर ही मिलके सेवा , तँय हर जान ।। दे अधिकार बरोबर , होहय नाम । संग रही जीयत ले , आहय काम ।। बेटी जस बगराही , जगमा तोर । बेटी बनके लक्ष्मी , करही शोर ।। बेटी बिन सुन्ना हे , ये संसार । बेटी बेटा जिनगी , के आधार ।। भेद भाव झन करबे , तैंहर आज । बेटा बनके बेटी , करही राज ।। ||मयारू मोहन कुमार निषाद||