Posts

Showing posts from January, 2020

तोर सुरता मा छत्तीसगढ़ी गजल

तोर सुरता मा नींद बैरी आवय नही । का करव मैं कुछू मोला भावय नही ।। तोर  चेहरा मोर  आंखी मा झुलत रहिथे । अन्न पानी मोला काही अब सुहावय नही ।। रात - दिन तोर सपना अब सताथे मोला । का बतावव तोर सुरता हर जावय नही ।। मन हा बइहा असन मोर गुनत रहिथे । तोर छोड़ गीत काही अब गावय नही ।। मया मा मन ला मोर कइसे मोही डारे । बोली कखरो अब मोला सहावय नही ।।         ©||मयारू मोहन कुमार निषाद||®