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जिंदगी का रंग हार जीत संग

कैसे मैं बताऊ , क्या हाल है अभी हुआ । जिंदगी वीरान सी , ख्वाब है धुँवा धुँवा ।। रूठी रूठी राह है , मंजिले है लापता  । सोचता हूँ हर घड़ी , हुई कहा पे है खता ।। खो ना जाऊ मैं कहि , डर यही सताता है । जिंदगी की राह में , जंग  यही बताता है ।। हार जो गया तो यार , लौट मैं ना पाउँगा । जिंदगी से हार के , मैं सबको क्या बताऊंगा ।। कहता हूँ यारो हार मेरी , है नही तकदीर । जीत फितरत है मेरी , सोचकर बहते नीर ।। आज पहली बार ये , वक्त कैसा आया है । रूठी सी है जिंदगी , गम ने हमे रुलाया है ।।           ||मयारू मोहन कुमार निषाद||