स्वागत वन्दना (हिंदी कुंडलिया छंद)
स्वागत वंदन आपका , करते है करजोर । चले कलम अब आपकी , साँझ सबेरे भोर ।। साँझ सबेरे भोर , लेखनी धार बहाये । लिखे जगत की पीर , सभी के मन को भाये ।। होना ना कमजोर , रोज सुख दुख है भागत । रहो सदा मजबूत , करे अब मोहन स्वागत ।। ||मयारू मोहन कुमार निषाद||