हिंदी कुंडलिया
थोड़ा कड़वा मगर वर्तमान का दर्पण है .......................
पढ़ता रचना ओ सखे , जो दे उचित विचार ।
बाकी रचना देख बस , देते लाइक मार ।।
देते लाइक मार , कहा है रचना पढ़ते ।
समझे ना कुछ बात , तभी आगे है बढ़ते ।।
काश समझते यार , नया तब राहे गढ़ता ।
होता ना सब पाप , कोइ जब रचना पढ़ता ।।
आये इस संसार में , करले अच्छे काम ।
दो दिन की है जिंदगी , जपलो हरि का नाम ।
जपलो हरि का नाम , पार भव से जाओगे ।
प्रभु नाम है सार , चरण में सुख पाओगे ।
कल की चिंता छोड़ , आज ही हरिगुण गाये ।
रखे सभी का मान , मजा जीने में आये ।।
मयारू मोहन कुमार निषाद
गाँव - लमती , भाटापारा ,
जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)
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